समाज में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही अधिकार मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। इस विषय पर विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को भी निबंध लिखवाया जाता है।
इसीलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) तैयार करके लाए हैं जो निश्चित तौर पर 5, 6 7 8 9 10 वर्गों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए उपयोगी साबित होंगे।
महिला सशक्तिकरण पर छोटे एवं बड़े निबंध – Short & Long Essay on Women Empowerment in Hindi
निबंध – 1 (200 शब्द)
प्रस्तावना
महिला सशक्तिकरण का मतलब है की महिलाओं को हर प्रकार के अधिकारों के द्वारा उन्हें शक्ति प्रदान करना। इसके माध्यम से हुए खुद आत्मनिर्भर बनकर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और दूसरे पश्चिमी देशों में महिलाएं बहुत आगे हैं। इन देशों में महिलाओं को पुरुषों से बिल्कुल भी कम नहीं आंका जाता एवं जिस प्रकार की सफलता एक पुरुष हासिल करता है उन सभी कामों को एक महिला भी वहां पर कर पाते हैं।
जहां तक भारत की बात करें तो आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की शिक्षा पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता है। लड़कियों को 10वीं 12वीं तक की पढ़ाई जाता है और उसके बाद के शिक्षा बंद करा दी जाती है ताकि उनकी शादी करा दी जा सके।
तो इस सोच को बदलने की जरूरत है और लड़कियों को कम उम्र में शादी करने की बजाय अगर उनके करियर पर ध्यान दिया जाए तो वह भी दूसरे देशों की महिलाओं की तरह सफलता हासिल कर सकेंगे।
निष्कर्ष
पूरी दुनिया आज काफी तेजी से तरक्की कर रही है और इनमें आर्थिक तरक्की करने वाले देशों में कई सारे देश शामिल है जिनमें महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार दिए जाते हैं।
भारत भी इस प्रकार के सफलता को हासिल कर सकता है लेकिन उसे इसके लिए महिलाओं के विरोध में होने वाली बुरी प्रथाओं से बचना पड़ेगा और महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम को सफल बनाना पड़ेगा।
निबंध – 2 (300 शब्द)
प्रस्तावना
समाज में औरत और मर्द के बीच में बराबरी हो इसके लिए शुरुआत से ही कई बड़े लोगों ने आवाज उठाई है और हमारा देश इस मामले में किसी से ना पिछड़े इसी लिए काफी प्रयास किए गए हैं।
एक ही समाज में रहते हुए स्त्री और पुरुष को बराबरी में लाने के लिए महिला सशक्तिकरण को काफी जोर दिया जा रहा है और लोगों तक पहुंचाया जा रहा है महिलाओं का उत्थान हर क्षेत्र में होता कि राष्ट्र भी काफी तेजी से विकसित होनी चाहिए यह भी लोगों की प्राथमिकता है।
महिला सशक्तिकरण का महत्व
महिला और पुरुष के बीच क्या समानता की वजह से विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं और इससे देश की विकास में की गति में भी कमी आती है पुरुषों की तरह ही महिलाओं का भी जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें भी समाज में महत्व मिल सके।
अगर देखा जाए तो सशक्तिकरण को लेकर महिलाओं के बीच में भी जागरूकता होनी चाहिए और उन्हें भी पता होना चाहिए कि उनके अधिकार क्या है सिर्फ एक घरेलू काम करने वाली महिला नहीं है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हैं बल्कि वह घर से बाहर निकल कर देश के प्रति क्षेत्र में अपनी भागीदारी देखकर हर विभाग में काम कर सकती है और अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
उनका भी अधिकार है कि वह अपने देश में होने वाली हर घटनाओं को जाने और उसमें हिस्सा ले।
निष्कर्ष
युग काफी तेजी से बदलता जा रहा है और दूसरे देशों को अगर देखे जैसे अमेरिका ब्रिटेन इत्यादि तो वहां पर स्त्रियों और महिलाओं के अधिकार बराबर होते हैं और उन सभी को यह भी अधिकार होता है कि पुरुषों के जैसी व अपनी भागीदारी निभा सके और यही वजह है कि उन देशों में स्त्रियां भी सफलता पुरुषों के बराबर ही हासिल करती है।
भारत में महिला सशक्तिकरण यही रोल निभा सकती है जिससे देश के विकास में महिलाएं भी अपनी भागीदारी देकर देश को आगे बढ़ा सकते हैं।
निबंध – 3 (400 शब्द)
प्रस्तावना
महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण काफी जरूरी बन चुका है। इसकी वजह से मैं किसी भी पुरुष पर निर्भर ना रखकर खुद पर निर्भर रहेंगे और अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों पर काबू पा सकेंगे।
बहुत पहले से महिलाओं पर तरह-तरह के अत्याचार होते रहे हैं जो समय के साथ खत्म होने की बजाए बढ़ते चले गए हैं। लेकिन महिलाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता की वजह से उन्हें इस बात का एहसास हो चुका है कि अब और नहीं। सिर्फ पुरुषों पर निर्भर रहने से वह अपनी शिक्षा एवं लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकेंगे इसीलिए उन्हें खुद आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।
महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और अन्याय
आज भी पुरुषों के समान जो मान सम्मान मिलना चाहिए वह महिलाओं को नहीं मिल पाता। अगर कोई महिला किसी विभाग में जॉब करने जाती है तो उन्हें तरह-तरह की बातें सुनने को मिलती हैं।
इसके अलावा वेतन पुरुषों की तुलना में बहुत कम दिया जाता है जो उनके मनोबल को कम कर देता है। यह बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है कि सिर्फ स्त्री होने की वजह से उन्हें कम वेतन दिया जाए। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ बदसलूकी भी होती है जो बहुत ही शर्मनाक बात है। इसके अलावा काम पर आने-जाने के समय भी परेशान किया जाता है।
इस समाज में रहने वाले हर इंसान मान सम्मान का अधिकारी होता है और कार्यस्थल में उनके उत्तरदायित्व के आधार पर ही उनको भी सराहना मिलनी चाहिए जो कि एक स्त्री को नहीं मिल पाता।
महिला सशक्तिकरण के उपाय
इस विषय को पुलिस समाज में अच्छी तरह से लागू करने के लिए कई उपाय हैं जिनमें सबसे पहला है महिलाओं को उच्च से उच्च शिक्षा प्राप्त करना। इसके बाद बारी आती है उनके अधिकारों की जो उन्हें समाज में हर प्रकार के काम को करने के लिए दिया जा सके जिसमें वह सक्षम हो। इसके साथ ही उन्हें पॉलिटिक्स से लेकर सरकारी जॉब तक हर प्रकार के विभागों में काम करने की इच्छा रखना जरूरी है।
प्रस्तावना
महिला सशक्तिकरण एक ऐसा शब्द है जो अब समाज में काफी तेजी से उपयोग में लाया जा रहा है लेकिन वास्तविकता में इस शब्द को बहुत कम ही लोगों ने अनुसरण किया है। लोग बार-बार तो इस शब्द को काफी सराहना करते हैं लेकिन उनके खुद घरों में यह शब्द लागू नहीं किया जाता।
सोच बदलनी जरूरी है और महिलाओं को उच्च से उच्च शिक्षा दिलाना भी जरूरी है ताकि हम इस देश का और विकास करा सकें।
निबंध – 4 (600 शब्द)
प्रस्तावना
बड़े-बड़े शहरों में भी महिलाओं के खिलाफ हर प्रकार के अत्याचारों एवं दुराचार के बारे में सुनने को मिलता रहता है। भारत में अशिक्षा महिला अत्याचार के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। पढ़े लिखे होने के बावजूद भी कुछ लोगों में शिष्टाचार की कमी देखी जा सकती है।
सड़कों पर लड़कियों एवं महिलाओं के लिए निकलना इतना मुश्किल हो जाता है कि सूरज डूबने से पहले ही वह अपने घर की ओर प्रस्थान करना ही पसंद करती हैं। यह सुरक्षा काफी समय से है यह कोई नई नहीं है। समाज में हो रहे इन सभी गलत कार्यों को रोकने के लिए सब को एकजुट होना होगा और हर महिला एवं औरत को अपनी मां और बहन के बराबर ही दर्जा देकर आप इस महिला सशक्तिकरण के कार्य को सफल कर सकते हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार का योगदान
भारत सरकार ने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं को सफलतापूर्वक शुरू कर दिया है जो मुख्य रूप से कृषि, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़ी हुई है।
इन योजनाओं में सबसे प्रमुख योजना निम्नलिखित है:
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना
भारत में एक सबसे बड़ी कुप्रथा थी भ्रूण हत्या जिसमें पेट में ही बेटियों को मार दिया जाता था जिसके लिए सरकार ने कानून लाया और इस प्रथा पर रोक लगाई। बेटियों को पढ़ा कर उन्हें बढ़ाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया।
उज्जवला योजना
महिलाओं को घर में ही इंधन प्रदान करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई और जो महिला हैं अपने घर में इंधन को लेकर परेशान रहते थे उनकी इस परेशानी को खत्म किया।
महिला हेल्पलाइन सेवा
जो भी महिलाएं परेशानी में हो तो सिर्फ नंबर डायल करके ही अ जल्द से जल्द सहायता प्राप्त कर सकती है और अपनी परेशानी या शिकायत उनसे बता सकती हैं।
महिला शक्ति केंद्र
ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं के लिए इस योजना को शुरू किया गया जिसमें महिलाएं एक साथ इस केंद्र से जुड़ कर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकती हैं।
महिला सशक्तिकरण में क्रांति की जरूरत
विमेन एंपावरमेंट सिर्फ सोच में ना रख कर इसे धरातल पर उतारना एवं इस प्रक्रिया को प्रभावित है उसे पूरा करना भी जरूरी है। अगर महिलाएं खुद इतनी आत्मनिर्भर हो जाए कि भी अपनी सुरक्षा खुद कर सके और समाज में अपने स्थान को प्रबल तरीके से बना सके इसके लिए समाज के हर मानव को अपने कर्तव्यों को समझना और इस पर चलना पड़ेगा।
हमारे देश के अधिकतर हिस्से में मातृसत्तात्मक प्रथा के बजाय पितृसत्तात्मक प्रथा देखी जाती है। लेकिन अगर आप गौर करें तो एक औरत भी मर्द से कम नहीं होती और हम और आप मैसेज अपने समाज में रह रहे कई ऐसी औरतों को देखा होगा जो अकेला ही घर को संभालती है।
जरूरत पड़ने पर वह जॉब करती है, घर के लिए कमाई भी करती हैं और इज्जत के साथ अपने परिवार को चलाती भी है। आज देश में कई उद्योगपति और से अपनी मेहनत से ही इस मुकाम पर पहुंची हैं और देश का नाम रोशन कर रही है। कल्पना चावला को नहीं भुला सकते जिन्होंने हमारे देश का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है।
आज महिलाएं सिर्फ घरों के अंदर ना रह कर उच्च से उच्च शिक्षा प्राप्त करती हैं एवं अच्छे जॉब भी हासिल करती है। इस प्रकार वे लड़कों के समान ही किसी भी बड़ी संगठन में ऊंचे पदों पर भी काम करती हैं। यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि इसमें कई सदियां लगी हैं।
निष्कर्ष
भारत एक विशाल देश है जिसमें विकास महिलाओं और पुरुषों दोनों पर ही निर्भर करता है। प्राचीन काल से ही भारत में महिलाओं पर तरह-तरह के अन्याय और अत्याचार होते रहे हैं। लेकिन अगर देश को सही मायनों में विकसित होना है तो पुरुषों के बराबर ही महिलाओं की भी भागीदारी की जरूरत है।
इस बात को भली-भांति समझने के लिए शक्ति महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देना काफी जरूरी है ताकि हर महिला अपने अधिकारों को समझ सके और देश के विकास में अपना योगदान दे सके।
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