वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में सहारा इंडिया से जुड़े निवेशकों की रिफंड चिंताओं पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि सहारा का मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है और सरकार इस दिशा में पूरी तरह से तैयार है, बशर्ते निवेशक अपने दावे के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत करें।
सहारा इंडिया में फंसे निवेशकों की स्थिति
सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सहारा हाउसिंग, और सहारा इंडिया कॉर्पोरेशन में देश भर के लगभग 3.7 करोड़ निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बी.एन. अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति के तहत निवेशकों को उनकी राशि का वितरण किया जा रहा है। अब तक, ₹138.07 करोड़ की धनराशि का दावा किया गया है और वितरित भी किया गया है, लेकिन कुल ₹25,781 करोड़ अभी भी लंबित हैं।
सहारा की संपत्तियों की कुर्की और धनराशि का वितरण
वित्त मंत्री ने बताया कि सहारा की 18 संपत्तियां कुर्क की गई हैं और सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद 1.21 करोड़ दावे प्रस्तुत किए गए हैं, जिसमें से ₹374 करोड़ की राशि जारी की गई है। इसके अलावा, पर्ल एग्रो कोऑपरेटिव से जुड़े 1.25 करोड़ दावों में से ₹1021 करोड़ का भुगतान न्यायमूर्ति लोढ़ा की देखरेख में किया गया है।
सांसदों की चिंताओं पर वित्त मंत्री का जवाब
सीकर के सांसद अमरा राम ने सहारा और पीएचसीएल में फंसे कुल निवेश और रिफंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि 15,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा होने के बावजूद, केवल 138 करोड़ रुपये ही वापस किए गए हैं। सतना के सांसद गणेश सिंह ने निवेशकों के पास दस्तावेज न होने की चिंता जताई और एजेंट-मध्यस्थ निवेश के लिए एक तंत्र का प्रस्ताव रखा। इस पर सीतारमण ने स्पष्ट किया कि इस मामले में निर्णय न्यायाधीश की समिति के हाथों में है और संपत्तियों की नीलामी के प्रयास भी जारी हैं।
क्या करना चाहिए निवेशकों को?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेशकों से अपील की कि वे अपने दावे के लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें और उन्हें ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जमा करें। यह प्रक्रिया तीन न्यायाधीशों की समिति की निगरानी में होगी, जो सुनिश्चित करेगी कि निवेशकों को उनका पैसा समय पर मिल सके।
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