प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना नरेंद्र मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसे गरीब वर्ग के लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है। इस योजना के तहत, शिल्पकारों और कारीगरों को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है ताकि वे अपने व्यवसाय को सशक्त बना सकें। इस योजना के तहत, लाभार्थियों को 3 लाख रुपये तक का ऋण मिल सकता है, जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
किस तरह के कारोबार को फायदा होता है
इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन कारीगरों और शिल्पकारों की मदद करना है जो अपने हाथों और औजारों के माध्यम से काम करते हैं। योजना में 18 प्रकार के व्यवसायों को शामिल किया गया है, जिनमें बढ़ई, नाव निर्माता, हथियार निर्माता, लोहार, ताला बनाने वाला, गुड़िया और खिलौना निर्माता, नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी, और मछली पकड़ने का जाल निर्माण शामिल हैं। इसके अलावा, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला, पत्थर तोड़ने वाला, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाड़ू निर्माता, और कॉयर बुनकर भी इस योजना के दायरे में आते हैं।
स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले फायदे
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत, कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से की जाती है। इसके साथ ही, उनके कौशल को उन्नत करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है। योजना के तहत, 500 रुपये प्रति दिन के वजीफे के साथ 5-7 दिनों का बेसिक ट्रेनिंग और 15 दिनों या उससे अधिक का अपग्रेडेशन ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अतिरिक्त, 15,000 रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन भी दिया जाता है, जो कारीगरों को अपने काम में और अधिक कुशल बनने में मदद करता है।
लोन की सुविधा
इस योजना के तहत सरकार बिना किसी गिरवी रखे 3 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है। यह ऋण दो किस्तों में दिया जाता है: पहली किस्त 1 लाख रुपये की होती है, जिसे 18 महीने में चुकाया जा सकता है, और दूसरी किस्त 2 लाख रुपये की होती है, जिसे 30 महीने में चुकाया जा सकता है। यह ऋण 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर दिया जाता है, जिसमें भारत सरकार द्वारा 8 प्रतिशत की सीमा तक ब्याज में छूट प्रदान की जाती है।
योजना के लाभार्थियों के लिए आवश्यक शर्तें
जिन लाभार्थियों ने बेसिक ट्रेनिंग पूरी कर ली है, वे 1 लाख रुपये तक की ऋण सहायता की पहली किश्त का लाभ उठा सकते हैं। दूसरी ऋण किश्त उन लाभार्थियों के लिए उपलब्ध है जिन्होंने पहली किश्त का लाभ उठाया है और अपने व्यवसाय में डिजिटल लेनदेन को अपनाया है या अपग्रेडेड ट्रेनिंग प्राप्त की है। इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना है, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकों के साथ अपने व्यवसाय को और अधिक उन्नत बनाने में भी मदद करना है।
योजना की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत अब तक लाखों कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिल चुका है। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है। भविष्य में इस योजना के विस्तार से और अधिक कारीगरों को इसका लाभ मिल सकेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
योजना के प्रति जनता की प्रतिक्रियाएँ
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को जनता की ओर से काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इस योजना के माध्यम से गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को अपनी आजीविका को सशक्त बनाने का मौका मिला है। कारीगर और शिल्पकार, जो पहले अपने व्यवसाय को चलाने में असमर्थ थे, अब इस योजना के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं।
सरकार का इस योजना के प्रति दृष्टिकोण
नरेंद्र मोदी सरकार का दृष्टिकोण इस योजना के माध्यम से गरीब वर्ग के लोगों को मुख्यधारा में लाने का है। सरकार की यह पहल कारीगरों और शिल्पकारों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के माध्यम से सरकार का उद्देश्य न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना भी है।
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