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Mutual Funds: SIP की तरह म्‍यूचुअल फंड में निवेश का एक तरीका है STP, जानें एसआईपी और एसटीपी में क्‍या है फर्क

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STP, SIP की तरह भी म्यूचुअल फंड में निवेश का एक विकल्प है। इसमें निवेशक निवेश को एक निश्चित अंतराल में एक फंड से दूसरे फंड में स्थानांतरित करता है।

SIP vs STP: म्‍यूचुअल फंड्स SIP निवेश का नियमित रूप से एक निर्धारित राशि में निवेश करता है। STP निवेशकों को एक फंड से दूसरे फंड में निवेश करने की सुविधा देता है। सामान्यत: लोग STP के बारे में कम जानकारी रखते हैं। SIP में निवेश निरंतर होता है, जबकि STP में निवेश कर्मचारी जारी होता है। STP का उपयोग निवेशकों को विभिन्न फंडों में निवेश करने के लिए संभावनाएं प्रदान करता है।

SIP

निवेशक निश्चित अमाउंट को नियमित अंतराल पर निवेश करते हैं। निवेशक अपने चयन के अनुसार रोजाना, हफ्ते, महीने या तीन महीने में निवेश कर सकते हैं। यह म्यूचुअल फण्ड में निवेश का व्यवस्थित तरीका है। लंबे समय की SIP में कम्पाउंडिंग का जबरदस्त फायदा होता है। यह निवेशकों को धीरे-धीरे धन संचय करने का मौका देता है।

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STP

STP म्यूचुअल फंड्स में निवेश का तरीका है। इसमें निवेशक एकमुश्‍त अमाउंट किसी फंड में करते हैं। फिर वे रेगुलर इंटरवल पर ट्रांसफर करते हैं। यह दूसरे फंड में निवेश के लिए होता है। STP एक तरह की SIP होती है। यह एक सिस्टमैटिक निवेश योजना है।

कैसे काम करता है STP

  • 1 लाख रुपए का निवेश होने पर लिक्विड फंड या डेट स्कीम ढूंढनी चाहिए।
  • पूरे राशि को उस स्कीम में डालना होगा।
  • एक निश्चित अवधि तय की जाएगी।
  • 10,000 रुपए हर महीने ट्रांसफर करना होगा।
  • 10 महीनों में पूरा राशि इक्विटी में जाएगा।
  • व्‍यवस्थित तरीके से पैसा ट्रांसफर होता है।
  • यह प्‍लान उतार-चढ़ाव से बचाता है।
  • इक्विटी फंड में निवेश करने की सलाह होती है।
  • इससे निवेशक को लाभ हो सकता है।
  • उतार-चढ़ाव से बचाव के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान विवेकपूर्ण निवेश की गारंटी प्रदान करता है।

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SIP या STP किसे चुनना बेहतर?

  • STP और SIPनिवेश के विभिन्न रूप हैं।
  • दोनों में रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ होता है।
  • छोटी राशि को लंबे समय में निवेश के लिए अधिक उपयुक्त है।
  • STP निवेशकों को बड़े निवेश को विभाजित करने का विकल्प देता है।
  • एकमुश्त पैसा इक्विटी में निवेश करना अधिक ऋणात्मक हो सकता है।
  • निवेशक के लक्ष्य और वित्तीय आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।
  • अंत में, निवेशक को ध्यान से अपने विकल्पों का विश्वास करना चाहिए।

Author

  • निशा खान

    नेहा खान ने हिंदी में एम.ए किया है और कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों के लिए लेख लिखे हैं। लेखन उनका शौक है और उन्हें सरकारी योजनाओं, तकनीक, बिज़नेस आइडियाज और शिक्षा पर लिखना बहुत पसंद है। नेहा सरल और समझ में आने वाली जानकारी अपने पाठकों तक पहुँचाने में माहिर हैं।

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