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प्रदुषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi For Class 7, 8, 9 & 10 Students

Essay on Pollution

प्रदूषण पूरी मानव सभ्यता के लिए एक खतरा है और जब वातावरण में किसी भी प्रकार की प्रदूषक पदार्थ तत्व मिश्रित हो जाते हैं तो इससे प्रदूषण कहा जाता है।

आज की इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके लिए प्रदूषण पर निबंध (Short and Long Essay on Pollution in Hindi) लेकर के आए हैं जो स्कूल में पढ़ने वाले विभिन्न वर्गों के बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

प्रदूषण के कई प्रकार होते हैं एवं इसके कई कारण भी हो सकते हैं प्रदूषित वातावरण की वजह से मानव जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है तो चलिए इन निबंध के माध्यम से हम इसे समझते हैं

प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध – Short and Long Essay on Pollution in Hindi

निबंध – 1 (250 शब्द)

प्रस्तावना

अगर इंसान चाहे तो प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रण में रख सकते हैं इसका उदाहरण आप कोरोना काल में ही देख सकते हैं जब वाहनों के आवागमन पर पूरी तरह से रोक लगी हुई थी।

पूरी दिल्ली बिल्कुल स्वच्छ हो गई थी और हवा में भी प्रदूषण कम होने के कारण ताजी हवा लोगों को मिल रही थी। पर्यावरण के विभिन्न प्रकार से प्रदूषित होने की वजह पूरी पृथ्वी के लिए खतरा है।

प्रदूषण की परिभाषा

जल, भूमि, वायु एवं मृदा के जैविक, भौतिक और रासायनिक लक्षणों के अवांछित लक्षण जो मनुष्य के लिए हानिकारक होते हैं ऐसे परिवर्तनों को ही प्रदूषण कहा जाता है। इस तरह के प्रदूषण को पैदा करने वाले कारकों को प्रदूषक कहा जाता है।

1986 में भारत सरकार द्वारा प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम बनाया गया था।

आज हर इंसान को पता है कि प्रदूषण मनुष्य के लिए कितना खतरनाक है फिर भी लोग लापरवाही के साथ इस पर ध्यान नहीं देते हैं हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए जीवन जीना काफी कठिन हो सकता है अगर समय रहते इस पर नियंत्रण ना किया जाए।

निष्कर्ष

हमारा देश भारत काफी घनी जनसंख्या वाला देश है। इतनी बड़ी जनसंख्या की रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए उत्पादन भी काफी अधिक मात्रा में की जाती है जिसमें कृषि, कल कारखाने इत्यादि शामिल है।

उत्पादन के विभिन्न क्रियाकलापों की वजह से ही जल, वायु और मृदा का प्रदूषण काफी मात्रा में होता है। समय रहते प्रदूषण पर नियंत्रण मानव जीवन के हित में है। हर इंसान का प्रदूषण के प्रति जागरूक होना काफी जरूरी है।

निबंध – 2 (350 शब्द)

प्रस्तावना

हमारी आने वाली पीढ़ी अच्छे स्वास्थ्य के साथ जिंदगी जी सके इसके लिए आज ही कड़े कदम उठाने जरूरी हैं प्रदूषण की गति काफी तेज है और इसे धीमा कर के इस पर नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक है।

पृथ्वी का वातावरण जीवन के लिए अनुकूल है इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें प्रदूषण। कम है और यहां जीने लायक वातावरण मौजूद है मनुष्यों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए। वातावरण को काफी हद तक प्रदूषित कर दिया है जिसका असर अभी से दिखना शुरू भी हो चुका है।

मौसम के बदलाव में अनियमितता देखी जा सकती है मौसम कब बदल जाता है या अनुमान लगाना आसान नहीं है और गर्मी के मौसम में बरसात और बरसात में बारिश भी नहीं होती।

जिससे कि कृषि में भी प्रभाव पड़ता है और उपज भी कम हो जाती है। इस प्रकार के कई नुकसान हैं जो प्रदूषण के कारण हमारी नजरों के सामने हो रहे हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

मनुष्य अगर दिल में इरादा कर ले तो प्रदूषण को रोका जा सकता है। हम इंसानों ने ही पृथ्वी को इतना प्रदूषित किया है तो हम ही इस पर काबू भी पा सकते हैं।

लेकिन इसके लिए थोड़ा परिश्रम तो जरूर करना पड़ेगा। इसे नियंत्रण में लाने के लिए उपाय निम्नलिखित हैं:

  • समय-समय पर वृक्षारोपण के कार्यक्रम को चलाना
  • कृषि में उर्वरक को एवं कीटनाशकों का कम मात्रा में उपयोग करना
  • इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल
  • कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों मैं कमी करना
  • जरूरत के अनुसार ही चीजों का इस्तेमाल करना
  • नदी एवं तालाबों में कूड़े करकट को ना फेंकना
  • पटाखों एवं धुंआ उत्पन्न करने वाली पदार्थों का उपयोग ना करना
  • रीसाइक्लिंग करना

निष्कर्ष

पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्रदूषण पर नियंत्रित नियंत्रण जरूरी है जिन्हें प्रदूषण रोकने के उपाय मालूम है वह इस पर काम करें और जिन्हें नहीं मालूम उन्हें जागरूक करें।

एक दूसरे के साथ मिलकर प्रदूषण को रोकने के उपायों पर अमल करें तभी हमारी पृथ्वी सुरक्षित रह सकती है और हमारे आने वाली नस्लों को एक जीने योग्य वातावरण मिल सकता है।

निबंध – 3 (400 शब्द)

प्रस्तावना

इंसानों का अस्तित्व तब तक है जब तक धरती सुरक्षित है। धरती की सुरक्षा इंसानों के हाथों पर पूरी तरह से निर्भर करती है। प्रदूषण की वजह से धरती का वातावरणबिगड़ता जा रहा है। प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी उत्पन्न हुई है।

इंसानों का स्वास्थ्य अच्छा हो और अच्छा जीवन बिता सकें इसके लिए पर्यावरण को प्रदूषण रहित रखना काफी जरूरी है और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को समझ कर इसकी रोकथाम करना एवं इससे बचने के उपाय को अपनाना भी हर इंसान का फर्ज है।

प्रदूषण का अर्थ

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ होता है जल, वायु, मृदा इत्यादि में अपशिष्ट पदार्थों का मिश्रण जिससे इनके वास्तविक अवस्था में प्रभाव पड़ता है और इससे यह दूषित हो जाते हैं। इसे ही प्रदूषण कहा जाता है।

प्रदूषित वायु, जल एवं ध्वनि के कारण मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार प्रदूषण इंसानी जीवन के लिए बहुत ही हानिकारक होती है।

प्रदूषण ना सिर्फ इंसानों को सीधे तौर पर शारीरिक उत्पीड़न देता है इसके अलावा भी प्रदूषण हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाता है।

समुंदरों में में नदियों के माध्यम से प्रवाहित हो कर जाने वाले कचरे इसे भी प्रदूषित करते हैं जिससे जल प्रदूषण के साथ-साथ हमारा समुद्री जल के प्रदूषित होने के कारण मौसम चक्र भी प्रभावित होता है।

ग्लोबल वार्मिंग से आप जरूर परिचित होंगे जो निरंतर बढ़ता जा रहा है और इसका अर्थ है पृथ्वी का गर्म होना। इसका सबसे प्रमुख कारण है वायु कब प्रदूषित एवं गर्म होना जो कल कारखानों से निकलने वाले एवं गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से होता है।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण के कई कार होते हैं जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:

कल कारखाने से निकलने वाला धुआं

हर दिन विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की जरूरत पड़ती है जिन्हें बनाने के लिए कई प्रकार की फैक्ट्रियां और कल कारखाने बनाए गए हैं। इन उद्योगों को 24 घंटे लगातार चलाया जाता है जिससे कई प्रकार के धुआं में इसकी चिमनीयों से निकलते हैं। यह सीधे हमारे वातावरण एवं वायु को प्रदूषित करते हैं।

पृथ्वी की रक्षा कवच जिसे ओजोन परत के नाम से जानते हैं वह भी इसकी वजह से काफी प्रभावित होता जा रहा है जो हमें सूर्य से आने वाली पारा बैंगनी किरणों से बचाती है।

इसके अलावा फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थ आसपास की नदियों में फेंक दिया जाता है या फिर इनसे ही गंदा पानी भी निकलते हैं जो जाकर नदियों मैं मिल जाती है।

जंगलों की कटाई

यह बहुत बड़ा कारण है जिसकी वजह से विभिन्न प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न होते हैं। दुनिया में जनसंख्या का विस्तर काफी तेजी से होता जा रहा है। एक बड़ी संख्या को रहने के लिए स्थान मुहैया कराने एवं खेती बारी करने के लिए जंगलों को काटा जा रहा है।

वनों की कटाई की वजह से ग्रीन ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता होती जा रही है जिसके कारण कारण ग्लोबल वार्मिंग के समस्या बढ़ती जा रही है पेड़ पौधे हमारे वातावरण के संतुलन को बनाए रखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो हमारे पृथ्वी को जीवित रहने योग्य वातावरण देता है।

निष्कर्ष

प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण के कार्यक्रम को चलाना जरूरी है इसके अलावा लोगों को खुद भी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी और दूसरे लोगों को जागरूक भी करना पड़ेगा ताकि वे जीवन के महत्व को समझ सके और पृथ्वी को प्रदूषण से बचा सके

निबंध – 4 (600 शब्द)

प्रस्तावना

आज प्रदूषण इतना अधिक बढ़ गया है कि शहरों में बाहर साफ हवा साथ लेने के लिए भी प्राप्त नहीं होती है। यही वजह है कि लोग शहरों से गांव की तरफ घूमने के लिए जाते हैं ताकि कभी-कभी उन्हें भी ताजी हवा प्राप्त हो सके।

इस तरह का वातावरण स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक होता है लेकिन लोगों को जिंदगी जीनी है इसीलिए उन्हें मजबूरन ऐसे माहौल में भी रहना पड़ता है।

प्रदूषण में मानव हेल्थ को काफी क्षति पहुंचाई है और इसका उदाहरण हम अपने स्वास्थ्य में होने वाले बदलाव को देखकर समझ सकते हैं।

प्रदूषण की वजह से नहीं नहीं कई प्रकार की बीमारियां शरीर में घर बना लेती हैं और तकलीफ देती हैं। जल और वायु में होने वाले प्रदूषण तो जानलेवा भी साबित होते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

यह जानना बेहद जरूरी है कि प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं ताकि उसकी रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार के उपायों को अपनाया जा सके।

जल प्रदूषण

इस प्रदूषण के कई कारण है जैसे कि प्रतिदिन घरों से निकलने वाली प्रदूषित जल नदियों और समुद्रों में जाकर मिल जाती हैं। इससे भी घातक और प्रदूषित जल कल कारखानों एवं फैक्ट्रियों से निकलती है जिसमें जल में विलय रासायनिक पदार्थ नदियों के पानी में मिलकर इससे जीव जंतुओं के लिए भी नुकसानदेह साबित होती है।

खेती में उपयोग किए जाने वाले उर्वरक पदार्थ के साथ कीटनाशक दवाइयां भी शामिल होती हैं जिससे जल प्रदूषित होता है।

प्रदूषित जल मानव जीवन में प्रभाव तो पैदा करती है साथ ही जीव जंतु एवं पौधों को भी काफी हद तक नुकसान पहुंचाती है। मनुष्य में विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे हैजा पीलिया टाइफाइड डायरिया इत्यादि जानलेवा बीमारियां जल प्रदूषण के कारण ही होती हैं।

ध्वनि प्रदूषण

जीव जंतुओं में सुनने की क्षमता अलग-अलग होती है। आमतौर पर मनुष्य के सुनने की क्षमता 20 Hz से 20000Hz के बीच में होती है वह कुछ जानवर इससे कम और इससे अधिक के ध्वनि को आसानी से सुन सकते हैं लेकिन आवश्यकता से अधिक ध्वनि कान के पर्दे भी पड़ सकती है।

गाने बजाने के लिए बड़ी-बड़ी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है जो ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक हैं इसके अलावा जो मुख्य तौर पर ध्वनि प्रदूषण के कारण हैं वह मशीनों की आवाज गाड़ियों की आवाज और इत्यादि से होती है।

इससे भी मनुष्य जीवन में काफी ज्यादा असर पड़ता है और इस प्रकार के प्रदूषण को ही ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है इससे मनुष्य में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे हड़बड़ाहट, बेचैनी, सुनने की क्षमता खत्म होना इत्यादि

मृदा प्रदूषण

खेती के द्वारा अनाजों का उत्पादन किया जाता है लेकिन उर्वरकों के इस्तेमाल की वजह से उपजाऊ भूमि भी बंजर बन सकती है अगर उर्वरकों को सही ढंग से इस्तेमाल ना किया जाए।

आज पैदावार बढ़ाने के लिए ऐसे उर्वरकों का और खाद का इस्तेमाल किया जाता है जो भूमि को बंजर बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। भूमि के गंदे होने की वजह से इससे उत्पादन किए जाने वाले अनाज भी प्रदूषित होते हैं और इस से होकर बहने वाली पानी भी प्रदूषित हो जाती है।

उर्वरकों के उत्पादित किए गए अनाजों को खाने से भी मनुष्य के सेहत पर प्रभाव पड़ता है एवं पेट की तरह तरह बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं।

वायु प्रदूषण

अकेले दिल्ली की सड़कों में लाखों गाड़ियां दौड़ती हैं जो इतनी अधिक वायु को प्रदूषित करती है कि कभी-कभी कोहरे के सामान भी वातावरण दिखाई देने लगता है।

वाहनों से बहुत ही हानिकारक गैस से निकलती है जो वायु में मिलकर इसे भी प्रदूषित कर देती है।

इसके अलावा कल कारखानों एवं फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं हैं जिनमें कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड मेथेन इत्यादि कैसे शामिल है।

वायु प्रदूषण की वजह से शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां पैदा होती हैं जिनमें सबसे प्रमुख टी बी, दमा इन्फ्लूएंजा इत्यादि शामिल है।

निष्कर्ष

मनुष्यों का यह कर्तव्य होना चाहिए कि किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोकने में वह अपने अहम भूमिका निभाए। जागरूक होना जरूरी है ताकि हमारा पर्यावरण हर प्रकार के प्रदूषण से बचा रहे एवं इस पर रहने वाले मनुष्य पशु पक्षी एवं पेड़ पौधे भी सुरक्षित रहें।

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