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DA Arrear: Old Pension Scheme और 18 महीने की DA को लेकर सरकार का ये बड़ा ऐलान

DA Arrear Old Pension Scheme

रिक्त पदों को नियमित भर्ती से केंद्र सरकार निर्धारित करे। निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की जाती है। आठवें वेतन आयोग का गठन जल्दी करें। कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना जरूरी है। कर्मचारियों की मुख्य मांगों में ये बातें शामिल हैं।

DA Arrear: Old Pension Scheme : दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर दो रैलियां हुईं। रैलियों में सात सूत्री एजेंडे पर चर्चा की गई। पहले नंबर पर एनपीएस की समाप्ति और ओपीएस की बहाली की मांग थी। रिक्त पदों को नियमित भर्ती द्वारा भरने की मांग भी रही। निजीकरण पर रोक लगाने की मांग भी उठाई गई। आठवें वेतन आयोग का गठन की मांग भी शामिल थी। कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करने की मांग भी थी। कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल थी ये बातें। पुरानी पेंशन के लिए हुंकार भरी गई रैलियों में लाखों कर्मचारी शामिल हुए। सरकार से कर्मचारियों की मांगों का सम्मान करने की उम्मीद है।

  • रैली कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले होगी।
  • इसमें ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित करीब 50 कर्मी संगठन हिस्सा लेंगे।
  • रैली महसूस कराती है कर्मियों की एकता और सामूहिक शक्ति को।
  • इस घटना से सरकार को लोगों की मांगों और अधिकारों को समझने का अवसर मिलेगा।
  • यह रैली कर्मियों के अधिकारों और उनकी उत्थानशीलता के लिए महत्वपूर्ण महक से भरी होगी।

निर्णायक लड़ाई की तरफ बढ़ने लगे कर्मचारी-

केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन ‘पुरानी पेंशन’ पर लड़ाई कर रहे हैं।केंद्रीय कर्मियों ने रैलियों से अपनी मांगों को सामने रखा।तीसरी बड़ी रैली तीन नवंबर को रामलीला मैदान में होगी। रैली में ओपीएस के साथ अन्य मुद्दे भी उठाए जाएंगे।एसबी यादव ने रिक्त पदों की भर्ती और निजीकरण के खिलाफ बात की। आठवें वेतन आयोग की मांग भी कर्मचारियों की है।18 महीने के डीए का एरियर भी मांगा जा रहा है।

रकारी कर्मचारियों ने पिछले साल से मांगें रखी हैं। तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में ज्वाइंट नेशनल कन्वेंशन हुआ था। कर्मचारियों की मुहिम आगे बढ़ रही है। राज्यों में भी कर्मियों की मांगों के लिए सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। प्रदर्शनों के माध्यम से आवाज उठाई जा रही है। कर्मचारियों की लंबित मांगें निपटाने की मांग है।

रिक्त पदों की नियमित भर्ती की मांग की जा रही है। निजीकरण पर रोक लगाने की मांग उठाई जा रही है।आठवें वेतन आयोग का गठन करने की मांग है। कर्मचारियों की उत्थान मुहिम तेज़ी से बढ़ रही है। तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में कर्मियों का एक सम्मेलन हुआ था। सरकारी कर्मचारियों की आवाज बुलंद की जा रही है।

पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन किया जाए-

  • रैली की मुख्य मांग: पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन या समापन।
  • ओपीएस के तहत पैसा जमा, लौटाने का केंद्र सरकार का दावा।
  • ओपीएस लागू होने पर, एनपीएस फिर से लागू हो सकता है।
  • राज्यों के ओपीएस बहाली में पेंच फंस सकती है।
  • निजीकरण पर रोक लगी, सरकारी उपक्रमों को नीचे करने की मांग।
  • डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन के अधिकारों का पालन करने की मांग।
  • राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम का त्याग करने की मांग।
  • अनुबंध पर कर्मचारी को अविलंब नियमित करने की आवश्यकता है।
  • राज्यों में ओपीएस बहाली से जुड़ी समस्याओं को हल करने की मांग।
  • एनपीएस के तहत पैसा सही तरह से प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
  • ओपीएस से जुड़ी सभी रिपोर्टें सक्रिय रहने की मांग।
  • कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनी संरचना की मांग।
  • पीएफआरडीए के पैसे को सही तरह से निवेश करने की आवश्यकता है।
  • अधिकारियों को डेमोक्रेटिक तरीके से चयनित करने की मांग।
  • एनपीएस बहाली में राज्यों को निर्देशित करने की मांग।

ओपीएस पर हो चुकी हैं कर्मियों की दो रैलियां-

कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट बताया: ‘एनपीएस’ योजना खत्म नहीं करने की मंजूरी नहीं। रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई। ‘एनजेसीए’ और ‘जेसीएम’ ने पुरानी पेंशन की बहाली की मांग की। शिवगोपाल मिश्रा ने कहा: चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती, तो भाजपा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों और पेंशनरों की संख्या दस करोड़ को पार कर गई। यह संख्या चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरकार को ‘पुरानी पेंशन योजना’ को बहाल करने की मांग की गई। राष्ट्रीय संयोजक ने उलटफेर का खात्मा करने की चुनौती दी।

  • लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन की मांग उठाई गई।
  • कर्मियों और पेंशनरों की भीड़ ने रैली को ऊंचाईयों तक ले जाया।
  • ‘एनपीएस’ योजना को बिना गारंटी के खत्म करने का विरोध किया गया।
  • जेसीएम ने भाजपा को चुनौती दी: पुरानी पेंशन नहीं लागू हो, तो भुगतना होगा खामियाजा।
  • कर्मचारी संगठनों ने नई योजना को अस्वीकार किया और पुरानी पेंशन की मांग की।
  • राष्ट्रीय संयोजक ने सरकार को समय पर वादा पूरा करने की अपील की।
  • रैली में उपस्थित लोगों ने नई योजना का विरोध किया और पुरानी पेंशन की मांग की।

रामलीला मैदान में अक्तूबर को ‘पेंशन शंखनाद महारैली’ आयोजित हुई। एनएमओपीएस के अध्यक्ष ने पुरानी पेंशन कर्मियों का अधिकार स्थापित किया। रैलियों में कर्मियों ने केंद्र और राज्य सरकारों के लाखों कर्मियों का समर्थन किया। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में ‘ओपीएस’ का मुद्दा उच्च स्थान पर रहा। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव ने सरकार से मांग दोहराई।

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पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की गई

एनपीएस को समाप्त करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की गई।अगर सरकार नहीं सुनती, तो देशव्यापी हड़ताल और रेलों की हड़ताल की धमकी दी गई। पुरानी पेंशन कर्मियों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए लोग एकजुट हुए।एनएमओपीएस के अध्यक्ष ने सशक्त भविष्य के लिए संकल्प जताया।राष्ट्रीय स्तर पर ‘ओपीएस’ को उच्चतम प्राथमिकता दी गई।

कर्मचारियों ने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा। देशभर में रेलों के पहिये रोकने की धमकी दी गई। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने सरकार से सजग रहने की अपील की। नई पेंशन योजना को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की गई। कर्मियों ने अपने अधिकारों के लिए समर्थन जताया और विरोध किया।

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