8th pay commission update : सरकारी कर्मचारियों और सरकार के बीच आठवें वेतन आयोग के गठन के लिए रार जारी है। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने इसका समर्थन जताया है। उनका कहना है कि सरकारी कर्मचारी सरकार की रीढ़ होते हैं और नीतियों को पहुंचाने में मदद करते हैं। कर्मचारी तन्मयता से काम करके नीतियों को लोगों तक पहुंचाने में जुटे हैं। एसबी यादव ने कहा कि आठवें वेतन आयोग को गठित करने का सही समय है। सरकारी कर्मचारी समर्थन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और नई नीतियों के लिए आवश्यकता है। नए आयोग के गठन से समर्थन जताने वाले कई संगठन हैं जो इस पर काम कर रहे हैं।
Adeeh News: केंद्र सरकार में 8वें वेतन आयोग के गठन के बारे में उम्मीदें हैं। वित्त सचिव ने इस पर नकारात्मक राय दी है। कर्मचारी संगठन ने इस खिलाफ आंदोलन की तैयारी की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन होगा। महासचिव ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है। आगर्ह किया गया कि बिना देरी के आयोग गठित किया जाए। यह फैसला कर्मचारियों के बीच असंतुष्टि बढ़ा सकता है। वित्त सचिव के बयान ने रार मचाया है। केंद्र सरकार के वेतन आयोग के संदर्भ में चर्चा जारी है। कर्मचारी संगठन ने फैसले के खिलाफ उठाई आवाज।
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आयोग के गठन का सही समय है
सीजीटी एसबी यादव ने कहा कि नए वेतन आयोग की आवश्यकता है। सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों को पहुंचाते हैं। 2016 में वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुईं थीं। कोविड के बाद वस्तुओं की कीमतें इजाफा पाईं। प्रोडेक्शन, निर्माण, स्वास्थ्य सेक्टर में तेजी देखी गई। ब्याज की ऊंची दरें कर्मियों के लिए मुसीबत बनीं। महंगाई दर 4 से 7 फीसदी के बीच रही है।
सरकारी कर्मचारी नीतियों को तन्मयता से पुनर्निर्माण करते हैं। नए वेतन आयोग का गठन सही समय पर होना चाहिए। कर्मचारी आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करते हैं। सरकारी कर्मचारी महंगाई और ब्याज के प्रभावों से प्रभावित हो रहे हैं। सीजीटी एसबी यादव ने सरकार के साथ मिलकर कर्मचारियों की मुद्दों का समाधान करने की आवश्यकता बताई।
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दस साल की अवधि पर वेतन आयोग का गठन
- यादव ने पत्र में आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों का उल्लेख किया है।
- वेतन आयोग को दस साल की अवधि पर गठन करना चाहिए, और डीए/डीआर दरों में बदलाव करना चाहिए।
- गत वेतन आयोगों ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने में दो वर्ष लिए हैं।
- सरकार को रिपोर्ट को लागू करने में छह माह का समय लेना चाहिए।
- एसबी यादव ने मोदी से आठवें वेतन आयोग के तत्पर गठन की मांग की है।
- मौजूदा परिस्थितियों में विलंब के बिना आयोग का गठन होना चाहिए।
- यादव ने पत्र में छठे वेतन आयोग के पैरा 1.1.4 का हवाला दिया है।
- सरकार से आग्रह किया जा रहा है कि आयोग को तत्पर बनाए रखा जाए।
- वेतन भत्तों में किसी भी बदलाव के लिए सरकार से मांग की जा रही है।
- यादव ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वेतन आयोग को तत्पर बनाएं।
- आयोग के गठन को लेकर देरी के बिना कदम उठाने की मांग की जा रही है।
- सिफारिशों का तत्पर लागू होना चाहिए ताकि कर्मचारियों को फायदा हो।
- यादव ने वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर मांग प्रस्तुत की है।
- छठे वेतन आयोग के तत्पर गठन के लिए सरकार से त्वरित कदम उठाने की आग्रह की गई है।
- आयोग की सिफारिशों को स्वीकृति देने का आग्रह किया जा रहा है।
राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान किया
2013 में गठित हुआ सातवां वेतन आयोग। आठवें आयोग की सिफारिशें 2026 में लागू होंगी। अखिल भारतीय कर्मचारी महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा। सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन का एलान किया गया है। आंदोलन में लाखों सरकारी कर्मचारी भाग लेंगे। केंद्र सरकार को आठवें आयोग गठित करने का निर्णय लेना चाहिए। महासंघ की नेशनल काउंसिल की बैठक 28-30 दिसंबर को होगी।
बैठक में फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की योजना बनेगी। कर्मचारी संगठनें भी इस आंदोलन में शामिल होंगीं। सड़कों पर कर्मचारी अपनी मांगें प्रकट करेंगे। सरकार को कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करना होगा।
2013 में गठित हुआ 7वां वेतन आयोग
सुभाष लांबा के अनुसार, सरकार ने 48.67 लाख कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों के लिए नए वेतन आयोग की योजना बनाई नहीं है। टीवी सोमनाथन द्वारा दी गई जानकारी से कर्मचारियों और पेंशनर्स में आक्रोश बढ़ा है। एजेंडे में वेतन बढ़ोतरी की कोई योजना नहीं होने के कारण, लोगों में नाराजगी है। वेतन आयोग की सिफारिशों का लागू होना जनवरी 2026 से संभावित है।
- 2013 में गठित हुए पिछले वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू हो रही थीं।
- केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों, और राज्य सरकार के कर्मियों पर यह प्रस्तावित है।
- कर्मचारियों को उनके वेतन, पेंशन और भत्तों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
- इस बयान से लोगों में भरपूर आक्रोश और तगड़ा झटका महसूस हो रहा है।
नेशनल काउंसिल की बैठक में 600 डेलीगेट्स
28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक में आंदोलन का एलान होगा। केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारी संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा। महासचिव ए श्रीकुमार ने बताया, डेलीगेट्स नेतृत्व में 600 से अधिक कर्मचारी शामिल होंगे। कर्मचारियों ने वेतन और पेंशन में संशोधन के लिए दस साल बाद आंदोलन किया। संशोधन के लिए वेतन आयोग का गठन कराया गया था जिस पर हर दस साल बाद आंदोलन होगा।
- सात केंद्रीय वेतन आयोगों का गठन हो चुका है जिनकी सिफारिशें लागू हो रही हैं।
- वेतन आयोग की सिफारिशों को केंद्र और राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों पर लागू करती हैं।
- कर्मचारी संगठन का मानना है कि सरकार के फैसले में अन्याय है।
- नेतृत्व में होने वाले आंदोलन में वेतन और पेंशन के मुद्दे पर चर्चा होगी।
- अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकारें भी संशोधन को अपने कर्मचारियों पर लागू करेंगी।
- सभी कर्मचारी एकमत हैं कि उनके हक की रक्षा के लिए आंदोलन की आवश्यकता है।
- आंदोलन का उद्देश्य वेतन और पेंशन के मामलों में सरकार से न्यायपूर्ण तरीके से बातचीत करना है।
- केंद्रीय सरकार को आंदोलन के माध्यम से कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान देने का आदान-प्रदान है।
- नेशनल काउंसिल की बैठक में राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
- आंदोलन से संबंधित नीति और कार्रवाईयों की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए विचार-विमर्श होगा।
एनपीएस में कोई संशोधन मंजूर नहीं
केंद्र सरकार ने आठवां वेतन आयोग बनाने का इंकार किया है। राज्य कर्मियों का रास्ता बंद हो गया है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 48.67 केंद्रीय कर्मचारी हैं। 67.95 लाख पेंशन भोगी हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया, वित्त सचिव के बयान के अनुसार, केंद्र सरकार एनपीएस में कुछ संशोधन करने जा रही है। सरकार ने पेंशन प्रणाली की समीक्षा के लिए समिति बनाई थी।
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा, रिपोर्ट जल्द ही दाखिल होगी। लांबा ने कहा, कर्मचारियों को एनपीएस में कोई संशोधन मंजूर नहीं है। समिति ने सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श पूरा किया है। कर्मचारियों को एनपीएस में कोई संशोधन नहीं मिलेगा, बयान दिया गया है।
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