केंद्र सरकार असंगठित श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी का फ्लोर लेवल तय करेगी। इस कदम से लगभग 50 करोड़ श्रमिकों को फायदा होगा। श्रम मंत्रालय न्यूनतम जीवनयापन लागत तय करने की योजना बना रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन इस काम में मदद करेगा। सभी राज्यों को इस फ्लोर लेवल के अनुसार न्यूनतम मजदूरी देनी होगी। वर्तमान में राज्य केंद्र की न्यूनतम मजदूरी को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। श्रम विषय संविधान की समवर्ती सूची में आता है।
केंद्र और राज्य अपनी सुविधा के अनुसार न्यूनतम मजदूरी तय करते हैं। असंगठित सेक्टर के श्रमिकों के लिए न्यूनतम जीवनयापन लागत महत्वपूर्ण है। सरकार श्रमिकों की जीवन गुणवत्ता सुधारने के लिए कदम उठा रही है। यह पहल श्रमिकों के आर्थिक स्थायित्व को बढ़ावा देगी। न्यूनतम मजदूरी की योजना से श्रमिकों का शोषण रुकेगा। श्रमिकों को न्यायसंगत वेतन मिलेगा। यह योजना श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करेगी। केंद्र सरकार की इस पहल से श्रमिकों का भविष्य सुरक्षित होगा।
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400 रुपये का वादा पूरा करेगी कांग्रेस?
- केंद्र सरकार का कदम 50 करोड़ असंगठित श्रमिकों को लाभ देगा।
- भाजपा और गैर भाजपा राज्य केंद्र के इस कदम का विरोध नहीं करेंगे।
- कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में न्यूनतम मजदूरी 400 रुपए प्रतिदिन करने का वादा किया था।
- श्रम मंत्रालय के उच्च सूत्रों के अनुसार केंद्र नया कानून लाएगा।
- कानून के अनुसार कोई राज्य तय न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं दे सकेगा।
- राज्य अधिक मजदूरी देने के लिए स्वतंत्र होंगे।
- न्यूनतम मजदूरी की सीमा केंद्र सरकार तय करेगी।
- केंद्र का कानून सभी राज्यों पर लागू होगा।
- असंगठित श्रमिकों को नए कानून से सुरक्षा मिलेगी।
- केंद्र की न्यूनतम मजदूरी से श्रमिकों की स्थिति सुधरेगी।
- नया कानून मजदूरों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास है।
- राज्यों को केंद्र की तय मजदूरी का पालन करना होगा।
पहले 176 रुपये.. अब कितनी होगी दिहाड़ी?
2017 में केंद्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 176 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की थी। इस बार श्रम मंत्रालय न्यूनतम जीवनयापन लागत तय करने की योजना बना रहा है। इस कार्य में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की सहायता ली जा रही है। न्यूनतम मजदूरी श्रमिकों को शोषण से बचाने के लिए होती है। जीवनयापन लागत में बुनियादी जरूरतें शामिल होती हैं। इसमें रोटी-कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य भी शामिल हैं। राज्य अपने श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी को नियमित रूप से अपडेट करते हैं।
कुशल और गैर कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी अलग होती है। गैर कुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 7000-12,000 रुपये प्रतिमाह होती है। दिल्ली में गैर कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 17,200 रुपये प्रतिमाह है। न्यूनतम मजदूरी तय करना श्रमिकों के हित में है। जीवनयापन लागत श्रमिकों की बेहतर जीवन गुणवत्ता सुनिश्चित करती है। न्यूनतम मजदूरी काम के शोषण को रोकने का प्रयास है। श्रमिकों की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखना आवश्यक है।
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