प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 1.75 लाख श्रमिकों के न्यूनतम वेतनमान को बढ़ाने की दिशा में पहल की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार ने न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड का गठन किया है, जिसका उद्देश्य श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। इस बोर्ड में विभिन्न मजदूर संगठनों के पदाधिकारियों के साथ-साथ श्रमिकों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी आवश्यकताओं और हितों का समुचित ध्यान रखा जाए।
न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड
मध्य प्रदेश के न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष श्रम विभाग के आयुक्त को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, बोर्ड में सामाजिक विज्ञान के विशेषज्ञों, महिला संगठनों, और उद्योग संघों के प्रमुखों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। डॉ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीके वर्मा, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ की मंत्री कविता मालवीय, स्माल स्केल इंडस्ट्रीज ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष विपिन जैन, और पीथमपुर प्रतिभा सिंटेक्स लिमिटेड के प्रेसिडेंट मुकेश व्यास जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों को बोर्ड में स्थान दिया गया है।
श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों की भूमिका
न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड में विभिन्न श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है, जो श्रमिकों की समस्याओं और उनके समाधान के लिए कार्य करेंगे। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री मधुकर सांबले, राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के महामंत्री श्याम सुंदर यादव, सीटू के महासचिव प्रमोद प्रधान, एटक के महासचिव एस.एस मोर्या और हिंद मजदूर सभा के प्रदेश अध्यक्ष हरिओम सूर्यवंशी को बोर्ड में प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया गया है। ये सभी सदस्य अपने संगठनों की ओर से श्रमिकों की आवाज को बुलंद करेंगे और उनके हितों की रक्षा करेंगे।
वेतनमान में वृद्धि की अनुशंसा: एक आवश्यक कदम
न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड जल्द ही वेतनमान में वृद्धि की अनुशंसा प्रदेश सरकार को प्रस्तुत करेगा। यह अनुशंसा श्रमिकों की मौजूदा आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएगी। इसमें श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए वेतनमान में आवश्यक वृद्धि पर जोर दिया जाएगा, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
मजदूर संगठनों की प्रतिक्रिया
इस नई पहल के प्रति मजदूर संगठनों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड के गठन से श्रमिकों की स्थिति में सुधार होगा और उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार उचित वेतन मिलेगा। संगठनों ने यह भी उम्मीद जताई है कि सरकार इस पहल को जल्दी से लागू करेगी, जिससे श्रमिकों को जल्द ही इसका लाभ मिल सके।
आर्थिक स्थिति में सुधार: श्रमिकों के जीवन स्तर में परिवर्तन
वेतनमान में वृद्धि का उद्देश्य केवल आर्थिक सुधार नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य श्रमिकों के जीवन स्तर में संपूर्ण परिवर्तन लाना है। इससे श्रमिक अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकेंगे और उनके जीवन में स्थिरता आएगी। इसके साथ ही, श्रमिकों की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
निष्कर्ष
न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड का गठन प्रदेश सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो श्रमिकों के हितों की रक्षा और उनके जीवन स्तर में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस बोर्ड की अनुशंसा से न केवल श्रमिकों का वेतनमान बढ़ेगा, बल्कि इससे प्रदेश की समग्र आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। मजदूर संगठनों और सरकार के इस संयुक्त प्रयास से उम्मीद की जा सकती है कि श्रमिकों की समस्याओं का समाधान होगा और उन्हें न्याय मिलेगा।
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